Friday, July 21, 2017

‘GeneBandhu’ के बारे में जानना ज़रूरी है, क्योंकि...

     ‘ग्राउंड जीरो’ के आठवें एपिसोड में पढिए एनजीओ GeneBandhu की कहानी । हम अकेले ही चले थे राहें मंज़िल मगर लोग मिलते गए और कारवां बनता गया। वाकई इरादे नेक हों तो कारवां अपने आप बन जाता है । इसी नेक इरादे के साथ शुरू हुआ ‘सेफ ब्लड ऑर्गेनाइजेशन’ नाम की संस्था आज GeneBandhu नामक एक कारवां में बदल चुकी है। जिसका मुख्य मकसद है मरीजों की मदद करना । ऐसे मरीज जो ब्लड कैंसर और ब्लड डिसऑर्डर से पीड़ित हैं । थैलेसीमिया और बोन मैरो जैसी घातक बीमारियों के इलाज के लिए स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की ज़रूरत होती है । ऐसे मरीजों को बचाया जा सके इसलिए GeneBandhu ने एक डाटा पूल बनाया हुआ है जिसमें कोई व्यक्ति इच्छानुसार अपना ब्लड सैंपल और बोन मैरो डोनेट कर सकता है ताकि ज़रूरत पड़ने पर किसी भी मरीज की मदद की जा सके । ऐसे ट्रांसप्लांट की कीमत अस्पताल में लाखों की होती है लेकिन इस एनजीओ के माध्यम से बहुत ही कम रेट पर स्टेम सेल लेकर ट्रांसप्लांट करके मरीज की जान बचायी जा सकती है । GeneBandhu नॉर्थ इंडिया की सबसे बड़ी रजिस्ट्री है जिसका स्टेम सेल डाटा पूल सबसे बड़ा है । किसी की जान बचाना इंसानियत का सबसे बड़ा धर्म है और अब तक GeneBandhu ने न जाने कितने ऐसे ज़रूरतमंदों को नई ज़िंदगी देकर अपने इस मिशन में उसी सेवा भाव से तत्पर है जिसे लेकर इसकी स्थापना हुई थी । GeneBandhu की इस नेक पहल की पूरी तहक़ीक़ात के लिए हमने बात की इस एनजीओ के डिपार्टमेंट हेड विकास चंद्र मिश्रा से...

सवाल – इस एनजीओ का नाम GeneBandhu कैसे पड़ा ?

जवाब- इसकी शुरुआत डॉ विमर्श रैना की अगुवाई में सन् 1998 में ‘सेफ ब्लड ऑर्गेनाइजेशन’ नामक संस्था के रूप में हुई थी । लगभग 14 सालों बाद सन् 1998 में इसका नाम बदलकर GeneBandhu कर दिया गया । यह नाम हमारे एनजीओ का जो काम है उसको काफी हद तक सार्थक करता है । क्योंकि ब्लड डिसऑर्डर के जिस मरीज की जान ट्रांसप्लांट करके बचायी जाती है वो कहीं न कहीं डोनर से जीन के जरिए जुड़ जाता है । अगर दो जीन आपस में जुड़ जाएं तो उन्हें भाई कहना वाकई अच्छा लगता है । इसीलिए एनजीओ का नाम बदलकर
GeneBandhu रखा गया ।


सवाल- GeneBandhu एनजीओ की कार्यविधि के बारे में बताइए । कैसे आप लोग ब्लड डिसऑर्डर से पीड़ित मरीज की मदद करते हैं ?

जवाब- हमारी एनजीओ में 11000 से ज्यादा डोनर रजिस्टर्ड हैं जिसमें 6000 से ज्यादा पूरी तरीके से टाइप्ड डोनर हैं । जिसमें स्टेम सेल डोनर और बोन मैरो डोनर दोनों शामिल हैं । यह व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह डोनर बनना चाहता है कि नहीं । इस तरह से हमारा डाटा पूल या कह लीजिए रजिस्ट्री, नॉर्थ इंडिया की सबसे पहली और सबसे बड़ी स्टेम सेल रजिस्ट्री है । जिस भी मरीज को बोन मैरो या स्टेम सेल की जरूरत होती है वो हमसे संपर्क करता है या फिर हमारे असोसिएट हॉस्पिटल भी हमसे संपर्क करते हैं । अगर मरीज और डोनर का स्टेम सेल मैच कर जाता है तो फिर उसे ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है । महज 25 फीसदी मरीज ही ऐसे होते हैं जिनका स्टेम सेल उनके परिवार से मैच करता है बाकी 75 फीसदी मरीजों की ज़िंदगी दूसरे डोनर पर ही टिकी होती है । और उससे भी बड़ी समस्या की बात यह है कि उन 75 फीसदी में भी बीस हजार डोनर में से किसी एक डोनर का स्टेम सेल किसी मरीज से मैच करता है ।  लेकिन हमारे एनजीओ की कोशिश रहती है कि स्टेम सेल डाटा पूल को बढ़ाया जाए और ज्यादा से ज्यादा मरीजों की मदद की जाए ।

सवाल- किसी अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट का कितना खर्चा आता है ? आपकी एनजीओ स्टेम सेल प्रोवाइड करने के बदले में क्या कुछ पैसे भी चार्ज करती है ?

जवाब- यहां पर दो अलग-अलग चीजें हैं, पहली ये कि मरीज को स्टेम सेल और बोन मैरो देने वाला डोनर होना चाहिए । अगर मरीज के परिवार के किसी सदस्य का स्टेम सेल मैच हो जाता है तो फिर इसका खर्चा बच जाता है नहीं तो अस्पताल के डाटा पूल से ये खरीदना पड़ेगा जो कि बहुत महंगा होता है । दूसरा खर्चा ट्रांसप्लांटेशन का होता है जिसमें लाखों रुपए लग जाते हैं । हमारी एनजीओ स्टेम सेल या बोन मैरो मरीज को बहुत ही कम रेट पर उपलब्ध करवाती है लेकिन कंडीशन ये है कि डोनर से मैच होना चाहिए । बाकी ट्रांसप्लांटेशन का जो भी खर्चा आता है वो अस्पताल को मरीज भुगतान करेगा । हमारे एनजीओ की तरफ से जो थोड़ा एमाउंट चार्ज किया जाता है वो इसलिए क्योंकि हमारी टीम को बहुत सारे टेस्ट से गुजरना होता है। हर रजिस्टर्ड डोनर का HLA टाइपिंग टेस्ट करना पड़ता है जिसमें काफी पैसा खर्च होता है । आर्थिक कमजोरी के चलते हम 2 डोनर में से सिर्फ एक का ही एचएलए टेस्ट कर पाते हैं । इन सब चीजों को सुचारू रूप से किया जा सके इसीलिए हमारी तरफ से एक छोटा एमाउंट लिया जाता है । बाकी हमारे सभी टीम मेंबर बिना किसी स्टाइपेंड के काम करते हैं ।


सवाल- इस एनजीओ के जरिए समाज सेवा का बीड़ा उठाया गया है, आप लोगों की इस पहल को क्या सरकार की तरफ से कोई मदद मिलती है ?

जवाब- हमें यह कहने में कोई गुरेज नहीं हैं कि पिछले 18-19 सालों से हमारा एनजीओ काम कर रहा है, कई लोगों की जान बचायी जा चुकी है लेकिन सरकार की ओर से हमें कभी कोई मदद नहीं मिली । न ही आर्थिक मोर्चे पर, न ही किसी और तरीके से। अब तक जो भी किया हमारी टीम ने मिल-जुलकर सहयोग की भावना से इस मुकाम तक पहुंचे । सरकार से हमारी अपील है कि संज्ञान लेते हुए अगर उनकी तरफ से कुछ सहयोग मिले तो समाज सेवा के इस काम को एक बहुत ही ऊंचे मुकाम तक ले जाया जा सकता है ।

सवाल- जनसंख्या के लिहाज से भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है । फिर भी हमारा स्टेम सेल डाटा पूल काफी छोटा है ?


जवाब- भारत विश्व का सबसे बड़ा स्टेम सेल और बोन मैरो रजिस्ट्री क्रिएट कर सकता है लेकिन लोग जागरूक नहीं हैं । कई मामलों में उन्हें सही जानकारी नहीं मिल पाती जिसकी वजह से उनके अंदर एक डर समाया हुआ है। मेडिकल टर्म थोड़े टफ होते हैं जिसकी वजह से लोगों को समझने में मुश्किल होती है । फिर भी हमारी एनजीओ लगातार कैंप लगाकर लोगों को जागरूक कर रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा डोनर रजिस्टर कर सकें । अमेरिका की जनसंख्या भारत के मुकाबले काफी कम है लेकिन उसकी रजिस्ट्री विश्व में सबसे बड़ी है जिसका नाम है ‘Be the Match’. छोटा कंट्री होने से डोनर के मैच करने की संभावना बढ़ जाती है लेकिन भारत जैसे विशाल देश में विविधताएं ज्यादा हैं, संस्कृतियां अलग हैं जिसके चलते मरीज और डोनर के स्टेम सेल मैचिंग में बड़ी दिक्कत आती है । हालांकि विदेशी डोनर के बजाए अगर लोकल डोनर की मैचिंग हो जाए तो खर्चे को काफी हद तक कम किया जा सकता है ।

सवाल-  आपकी एनजीओ के खास लोगों के नाम बताइए जो लगातार समाज सेवा के इस काम में लगे हुए हैं ।

जवाब- डॉ. विमर्श रैना- (को-फाउंडर एंड प्रेसीडेंट), कपिल गुप्ता (को-फाउंडर), डॉ. असीम तिवारी (ट्रस्टी), विकास चंद्र मिश्रा (डिपार्टमेंट हेड), प्रणव डोरवाल, अपेक्षा तिवारी, दीपक शर्मा, परवीन सिंह, दिव्या गुप्ता, हिना सोलंकी, नवीन, रिचा, राहुल, भुवन, अखिलेश, दिनेश

सवाल- आपकी एनजीओ का किन-किन हॉस्पिटल के साथ टाइ-अप है जिससे वहां भर्ती मरीजों की मदद की जा सके  ?

जवाब- ★ Rajiv Gandhi Cancer Institute & Research Centre, Rohini, Delhi
★Sir Ganga Ram Hospital, Delhi
★Asian Institute of Medical Sciences, Faridabad
★HCG Bangalore
★Ruby Hall Clinic, Pune
★Medanta Hospital, Gurgaon
★Madras Institute of Orthopaedics and Traumatology, Chennai

सवाल- फ्यूचर को लेकर क्या प्लानिंग है ?

जवाब- ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करना है ताकि डाटा पूल को बढ़ाया जा सके और ज्यादा से ज्यादा मरीजों की मदद की जा सके । मेरी सभी लोगों से अपील है कि वो लोग स्वेच्छा से डोनर बनें और हमारे साथ जुड़कर वॉलिंटियर्स के रूप में भी काम करें । साथ ही उम्मीद है कि सरकार भी हमारी इस पहल को संज्ञान में लेते हुए हरसंभव मदद करने की कोशिश करेगी ।

सवाल- कोई व्यक्ति अगर आपकी एनजीओ से जुड़ना चाहे तो कैसे संपर्क करे ?

जवाब- सीधे हमारे ऑफिस विजिट कर सकता है जिसका एड्रेस नीचे है-
Address: 209-C, Masjid Moth, South extension part II, New Delhi, 110049
E-mail: info.genebandhu@gmail.com
Phone: 011-64691678
Website: http://genebandhu.in/
Facebook: https://www.facebook.com/genebandhu

सवाल- ‘ग्राउंड ज़ीरो’ के बारे में क्या कहना है आपका ?

जवाब- हमारे एनजीओ के बारे में लोगों को बताने के लिए आपका धन्यवाद । भविष्य के लिए शुभकामनाएं ।
(ग्राउंड ज़ीरो के अगले एपिसोड में पढ़िए मिसाल कायम करने वाले एक और धमाकेदार शख्स का इंटरव्यू, जो होगा हमारे और आपके बीच का )

(अगर आपके पास भी है किसी ऐसे शख्स की कहानी जिसने किया है सोचने पर मजबूर। वो आप खुद भी हो सकते हैं, आपका कोई जानने वाला हो सकता हैं, आपका कोई दोस्त या रिश्तेदार भी हो सकता है। तो आप हमें बताइए। हम करेंगे ‘ग्राउंड ज़ीरो’ से पड़ताल और छापेंगे उसकी मिसालभरी दास्तां। देखेंगे दुनिया उसकी नज़र से। )  

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